Ashtakshari Mantra- Narayana Ashtakshara Mantra Japa
Narayana Ashtakshara Mantra and Japa:
Narayana Ashtakshari Mantra Dhyanam:
Naaraayanaashtaakshara dhyaana:
उद्यद् भास्वत् समाभास: चिदानंदैकदेहवान् । चक्रशंखगदापद्मधरो ध्येयो.हमीश्वर: ।
लक्ष्मीधराभ्यामाश्लिष्ट: स्वमूर्तिगणमध्यग: । ब्रह्मवायुशिवाहीशविपै: शक्रादिकैरपि ।
सेव्यमानो.धिकं भक्त्या नित्य नि:शेषशक्तिमान् ।। मूर्तयो.ष्टावपि ध्यॆयाश्चक्रशंखवराभयै: ।
युक्ता: प्रदीपवर्णाश्च सर्वाभरणभूषिता: । मूलरूपसवर्णानि कृष्णवर्णा शिखोच्यते ॥
Meaning:
raising sun, he has sachidanandaatmaka apraakruta shareera, he has
shanka, chakra gadaa, padma in his four arms. He will be always with
Sri & Bhoo roopa of Lakshmi, he will be in the centre of Vishwa,
Taijasaadi ashta roopa, he is surrounded by Brahma, Vayu, Garuda
Shesha Rudra, and all Indraadi devataas and all the devataas will be
worshipping, doing the seva of Srihari always.
namō nārāyaṇāyēti maṁtra: sarvārthasādhaka: |
Who ever does Naaraayana Ashtakshara mantra japa they need not chant other mantras, as all the phalaas (benefits), which can be derived from the other mantras can be had from this mantra only.
The Narayana upanishad talks about the greatness of the ashtakshara (eight syllabled) mantra of Lord Vishnu – Om Namo Narayanaya.
(Note- unfortunately this mantra is incorrectly written in many places including some temples, as Om Namo Narayana – missing the last syllable ‘ya’.)
The Narayana upanishad says the following about the ashtakshara mantra-Narayana Ashtakshari Mantra:
-This mantra is most sacred. It is the king of all mantras
-When recited, it gives health, long life, prosperity and attainment of Vaikunta (the abode of Vishnu, supreme consciousness)
-Recitation of this mantra grants liberation from the cycle of birth and death.
-One who recites this mantra in the morning becomes free of sins committed at night.
-One who chants this mantra at noon becomes free of the five great sins
-One~ who recites this at night becomes free of sins committed during the day.
-One who chants this mantra acquires the merit of studying all the Vedas
-One~ who recites this mantra attains oneness with Narayana
When to chant this Narayana Ashtakshari Mantra?
Usually after the japa of Gayatri Mantra, this has to be chanted.
Whether we can chant Narayana Ashtakshari Maha Mantra without guru upadesha?
No. Any mantra chanted without guru upadesha will have desired value. For Gayathri Mantra, Narayanashtakshara, Krishna Shadakshara, Sandhyavandana, Guru mantra, and all stotras, one must have guru upadesha invariably.
Who can chant this Narayana Ashtakshara Maha Mantra?
Ashtakshara Mantra Japa-Importance of Narayana Ashtakshari Mantra:
अष्टाक्षर नारायण मंत्र ॐ नमो नारायणाय का महत्व:
‘ॐ नमो नारायणाय’ मन्त्र समस्त प्रयोजनोंका साधक है और भक्तिपूर्वक जप करनेवाले लोगोंको स्वर्ग तथा मोक्षरूप फल देनेवाला है॥ यह सभी मन्त्रों में उत्तम, श्रीसम्पन्न और सम्पूर्ण पापोंको नष्ट करनेवाला है। जो सदा संध्या के अन्त में इस अष्टाक्षर मन्त्र का जप करता हुआ भगवान् नारायण का स्मरण करता है, वह सम्पूर्ण पापोंसे मुक्त हो जाता है। यही उत्तम मन्त्र है और यही उत्तम तपस्या है। यही उत्तम मोक्ष तथा यही स्वर्ग कहा गया है। पूर्वकाल में भगवान् विष्णु ने वैष्णवजनोंके हित के लिये सम्पूर्ण वेद-रहस्योंसे यह सारभूत मन्त्र निकाला है। इसके महत्व को जानकर हमे इस अष्टाक्षर-मन्त्र का स्मरण जप करना चाहिए ॥
स्नान करके, पवित्र होकर, शुद्ध स्थानमें बैठकर पाप शद्धि के लिये इस मन्त्रका जप करना चाहिये। जप दान, होम, गमन, ध्यान तथा पर्वके अवसरपर और किसी कर्मके पहले तथा पश्चात् इस नारायण-मन्त्रका जप करना चाहिये। भगवान् विष्णुके भक्त श्रेष्ठ द्विज को चाहिये कि वह प्रत्येक मासकी द्वादशी तिथि को पवित्र भावसे एकाग्रचित्त होकर सहस्र या लक्ष मन्त्रका जप करे॥ स्नान करके पवित्रभावसे जो ‘ॐ नमो नारायणाय’ मन्त्र का सौ (एक सौ आठ) बार जप करता है, वह निरामय परमदेव भगवान् नारायणको प्राप्त करता है। जो इस मन्त्रके द्वारा गन्ध-पुष्प आदिसे भगवान् विष्णु की करता है, वह महापातकसे युक्त होने पर भी निस्संदेह मुक्त हो जाता है। जो हृदयमें भगवान् विष्णुका ध्यान करते हुए इस मन्त्रका जप करता है, वह समस्त पापोंसे विशुद्ध होकर उत्तम गतिको प्राप्त करता है॥
अष्टाक्षर नारायण मंत्र ॐ नमो नारायणाय की जप संख्या:
एक लक्ष मन्त्र(ashtakshar mantra) का जप करनेसे चित्तशुद्धि होती है दो लक्ष के जपसे मन्त्र की सिद्धि होती है, तीन लक्ष के जपसे मनुष्य स्वर्गलोक प्राप्त कर सकता है, चार लक्ष से भगवान् विष्णु की समीपता प्राप्त होती है और पाँच लक्ष से निर्मल ज्ञान की प्राप्ति होती है। इसी प्रकार छ: लक्षसे भगवान् विष्णु में चित्त स्थिर होता है, सात लक्ष से भगवत्स्वरूप का ज्ञान होता है और आठ लक्ष से पुरुष निर्वाण (मोक्ष) प्राप्त कर लेता है। द्विजमात्रको चाहिये कि अपने-अपने धर्मसे युक्त रहकर इस मन्त्रका जप करे। यह अष्टाक्षरमन्त्र सिद्धिदायक है। आलस्य त्यागकर इसका जप करना चाहिये। इसे जप करनेवाले पुरुषके पास दुःस्वप्न, असुर, पिशाच, सर्प, ब्रह्मराक्षस, चोर और छोटी-मोटी मानसिक व्याधियाँ भी नहीं फटकती हैं॥ विष्णुभक्त को दृढ़संकल्प एवं स्वस्थ होकर एकाग्रचित्तसे इस नारायण-मन्त्रका जप करे। यह मृत्युभयका नाश करनेवाला है। मन्त्रोंमें सबसे उत्कृष्ट मन्त्र और देवताओं का भी आराध्य है।
संसाररूपी सर्प के भयानक विष का नाश करनेके लिये यह ‘ॐ नारायणाय नमः’ मन्त्र ही सत्य (अमोघ) औषध है। ‘अष्टाक्षर नारायण मंत्र’ से बढ़कर दूसरा कोई मन्त्र नहीं है। नित्य-निरन्तर भगवान् नारायण का ध्यान करके इस सर्वदुःखनाशक अष्टाक्षर मन्त्र का जप करना चाहिए| इसके साथ साथ आप विष्णु सहस्त्र पाठ भी कर सकते है|