Kamakhya~ Kali Devi Kavacham Dasha Maha Vidya Kavach
Kamakhya Kali Devi Kavacham / Kamakhya Kavacham/ Kamakhya Stotram in English:
|| Kamakhya Kavacham ||
Viniyogah
OM Asya Shrimahavidyakavachasya Shrisadashiva RIshih Ushnik Chandah
Shrimahavidya Devata Sarvasiddhipraptyarthe Pathe Viniyogah |
RIshyadi Nyasah
Shrisadashivar Ishaye Namah Shirasi Ushnik Chandase Namah Mukhe
Shrimahavidyadevatayai Namah HrIdi Sarvasiddhipraptyarthe
Pathe Viniyogaya Namah SarvaNge |
Manasapujanam
OM PrIthvitattvatmakam Gandham Shrimahavidyaprityarthe Samarpayami Namah |
OM Ham Akashatattvatmakam Pushpam Shrimahavidyaprityarthe Samarpayami Namah |
OM~ Yam Vayutattvatmakam Dhupam Shrimahavidyaprityarthe Aghrapayami Namah |
OM Ram Agnitattvatmakam Dipam Shrimahavidyaprityarthe Darshayami Namah |
OM~ Vam Jalatattvatmakam Naivedyam Shrimahavidyaprityarthe Nivedayami Namah |
OM Sam Sarvatattvatmakam Tambulam Shrimahavidyaprityarthe Nivedayami Namah|
Shrimahavidyakavacham
OM Prachyam Rakshatu Me Tara Kamarupanivasini |
Agneyyam Shodashi Patu Yamyam Dhumavati Svayam || 1||
Meaning:
Let Me Be Protected in The East by Tara, Who Lives in Kama Roopa,
Let Sodashi Protect Me in The South East, Let Dhoomavathi Protect Me in The South
NairruItyam Bhairavi Patu Varunyam Bhuvaneshvari |
Vayavyam Satatam Patu Chinnamasta Maheshvari || 2||
Meaning:
Let My South West Be Protected by Bhairavi And the West by Bhuvaneswari
Let My North West Be Always Protected by The Great Goddess.
Kauberyam Patu Me Devi Shrividya Bagalamukhi |
Aishanyam Patu Me Nityam Mahatripurasundari || 3||
Meaning:
Let My North Side Be Protected by Goddess Srividhya Called Bagala Mukhi,
Let My North East Be Daily Protected by Mahtripura Sundari.
Urdhvam Rakshatu Me Vidya MataNgipithavasini |
Sarvatah Patu Me Nityam Kamakhya Kalika Svayam || 4||
Meaning:
Let My Top Be Protected by The Vidhya Called Matangi Who Sits on The Pita,
Let My All Directions Be Daily Protected by Kali Kamakhyaa Herself.
Brahmarupa Mahavidya Sarvavidyamayi Svayam |
Shirshe Rakshatu Me Durga Bhalam Shribhavagehini || 5||
Meaning:
The MahaVidhya Who Has Form of Brahma and Is Pervaded with Sarva Vidhya Herself,
Let Durga Protect My Head and My Forehead Be Protected by She Who Attracts Shiva.
Tripura Bhruyuge Patu Sharvani Patu Nasikam |
Chakshushi Chandika Patu Shrotre Nilasarasvati || 6||
Meaning:
Let Tripura Protect Both My Eye Brows And Sarvani Protect My Nose,
Let Chandika Protect My Eyes and Let My Ears Be Protected by Neela Saraswathi
Mukham Saumyamukhi Patu Grivam Rakshatu Parvati |
Jihvam Rakshatu Me Devi Jihvalalanabhishana || 7||
Meaning:
Let Goddess with Peaceful Face Protect My Mouth and Let Parvathi Protect My Neck,
Let My Tongue Be Protected by Goddess and Movement of Tongue by The Fearsome Goddess.
Vagdevi Vadanam Patu Vakshah Patu Maheshvari |
Bahu Mahabhuja Patu KaraNgulih Sureshvari || 8||
Meaning:
Let the Goddess of Speech Protect My Face, Let Parvathi Protect My Abdomen,
Let Maha Buja Protect My Hands, Let Goddess of Devas Protect My Fingers of Hand.
Prushthatah Patu Bhimasya Katyam Devi Digambari |
Udaram Patu Me Nityam Mahavidya Mahodari || 9||
Meaning:
Let Bheema Protect My Back Side and Let Goddess Dressed with Sky Protect My Waist,
Let Mahavidhya Who Has A Huge Stomach, Protect Daily My Stomach.
Ugratara Mahadevi JaNghoru Parirakshatu |
Gudam Mushkam Cha Medhram Cha Nabhim Cha Surasundari || 10||
Meaning:
Let the Ferocious Star Maha Devi Protect My Thighs and Knees,
Let My Anus, Testicles and Penis as Well As Belly Be Protected by Prettiest of Gods.
PadaNgulih Sada Patu Bhavani Tridasheshvari |
Raktamamsasthimajjadin Patu Devi Shavasana || 11||
Meaning:
Let Bhavani The Goddess of Three States Always Protect Fingers of My Feet,
Let the Goddess Who Sits on Corpse Protect My Blood, Flesh Bones as Well as Fat.
Mahabhayeshu Ghoreshu Mahabhayanivarini |
Patu Devi Mahamaya Kamakhyapithavasini || 12||
Meaning:
Let the Goddess Who Removes Great Fear Protect Me from Scary Fear,
And Let Me Be Protected Ny Maha Maya Who Lives in Kamakhyaa Peetha.
Rakshahinam Tu Yatsthanam Kavachenapi Varjitam |
Tatsarvam Sarvada Patu Sarvarakshanakarini || 14||
Meaning:
To All Those Areas Where the Armor Has Left Without Protection,
Let the Goddess Who Always Protect, All Time and All Ways Protect.
||Iti MahaVidya Kavachasya Sampooranam||
Kamakhya Kavacham in Devanagari:
कामाख्या कवच
विनियोग:
ॐ अस्य श्रीमहा-विद्या-कवचस्य श्रीसदा-शिव ॠषि:, उष्णिक छन्द:, श्रीमहा-विद्या-देवता, सर्व-सिद्धी-प्राप्त्यर्थे पाठे विनियोग: ।
ॠष्यादी न्यास:
श्रीसदा-शिव-ॠषये नम: शिरसी, उष्णिक-छन्दसे नम: मुखे, श्रीमहा-विद्या-देवतायै नम: ह्रीदी, सर्व-सिद्धी-प्राप्त्यार्थे पाठे विनियोगाय नम: सर्वाङ्गे।
मानस-पूजन:
ॐ पृथ्वी-तत्त्वात्मकं गन्धं श्रीमहा-विद्या-प्रीत्यर्थे समर्पयामी नम: ।
ॐ~ हं आकाश-तत्त्वात्मकं पुष्पं श्रीमहा-विद्या-प्रीत्यर्थे समर्पयामी नम:।
ॐ यं वायु-तत्त्वात्मकं धुपं श्रीमहा-विद्या-प्रीत्यर्थे घ्रापयामी नम: ।
ॐ~ रं अग्नी-तत्त्वात्मकं दीपं श्रीमहा-विद्या-प्रित्यर्थे दर्शयामी नम: ।
ॐ वं जल-तत्त्वात्मकं नैवेधं श्रीमहा-विद्या-प्रीत्यर्थे निवेदयामी नम: ।
ॐ सं सर्व-तत्त्वात्मकं ताम्बुलं श्रीमहा-विद्या-प्रित्यर्थे निवेदयामी नम:।
Kamakhya Kali Devi Kavacham:
श्रीमहा-विद्या-कवच or ।। मां कामाख्या देवी कवच।।
ओं प्राच्यां रक्षतु मे तारा कामरूपनिवासिनी।
आग्नेय्यां षोडशी पातु याम्यां धूमावती स्वयम्।।
नैर्ऋत्यां भैरवी पातु वारुण्यां भुवनेश्वरी।वायव्यां सततं पातु छिन्नमस्ता महेश्वरी।।
कौबेर्यां पातु मे देवी श्रीविद्या बगलामुखी।ऐशान्यां पातु मे नित्यं महात्रिपुरसुन्दरी।।
ऊध्र्वरक्षतु मे विद्या मातंगी पीठवासिनी।सर्वत: पातु मे नित्यं कामाख्या कलिकास्वयम्।।
ब्रह्मरूपा महाविद्या सर्वविद्यामयी स्वयम्।शीर्षे रक्षतु मे दुर्गा भालं श्री भवगेहिनी।।
त्रिपुरा भ्रूयुगे पातु शर्वाणी पातु नासिकाम।चक्षुषी चण्डिका पातु श्रोत्रे नीलसरस्वती।।
मुखं सौम्यमुखी पातु ग्रीवां रक्षतु पार्वती।जिव्हां रक्षतु मे देवी जिव्हाललनभीषणा।।
वाग्देवी वदनं पातु वक्ष: पातु महेश्वरी।बाहू महाभुजा पातु कराङ्गुली: सुरेश्वरी।।
पृष्ठत: पातु भीमास्या कट्यां देवी दिगम्बरी।उदरं पातु मे नित्यं महाविद्या महोदरी।।
उग्रतारा महादेवी जङ्घोरू परिरक्षतु।गुदं मुष्कं च मेदं च नाभिं च सुरसुंदरी।।
पादाङ्गुली: सदा पातु भवानी त्रिदशेश्वरी।रक्तमासास्थिमज्जादीनपातु देवी शवासना।।
।महाभयेषु घोरेषु महाभयनिवारिणी।पातु देवी महामाया कामाख्यापीठवासिनी।।
भस्माचलगता दिव्यसिंहासनकृताश्रया।पातु श्री कालिकादेवी सर्वोत्पातेषु सर्वदा।।
रक्षाहीनं तु यत्स्थानं कवचेनापि वर्जितम्।तत्सर्वं सर्वदा पातु सर्वरक्षण कारिणी।।
इदं तु परमं गुह्यं कवचं मुनिसत्तम।कामाख्या भयोक्तं ते सर्वरक्षाकरं परम्।।
अनेन कृत्वा रक्षां तु निर्भय: साधको भवेत।न तं स्पृशेदभयं घोरं मन्त्रसिद्घि विरोधकम्।।
जायते च मन: सिद्घिर्निर्विघ्नेन महामते।इदं यो धारयेत्कण्ठे बाहौ वा कवचं महत्।।
अव्याहताज्ञ: स भवेत्सर्वविद्याविशारद:।सर्वत्र लभते सौख्यं मंगलं तु दिनेदिने।।
य: पठेत्प्रयतो भूत्वा कवचं चेदमद्भुतम्।स देव्या: पदवीं याति सत्यं सत्यं न संशय:।।
इति श्रीमहाविद्याकवचस्य सम्पूर्णम |
Kamakhya Kali Devi Kavacham Meaning- मां कामाख्या देवी कवच हिन्दी में अर्थ:
कामरूप में निवास करने वाली भगवती तारा पूर्व दिशा में, पोडशी देवी अग्निकोण में तथा स्वयं धूमावती दक्षिण दिशा में रक्षा करें।। नैऋत्यकोण में भैरवी, पश्चिम दिशा में भुवनेश्वरी और वायव्यकोण में भगवती महेश्वरी छिन्नमस्ता निरंतर मेरी रक्षा करें।। उत्तरदिशा में श्रीविद्यादेवी बगलामुखी तथा ईशानकोण में महात्रिपुर सुंदरी सदा मेरी रक्षा करें।। भगवती कामाख्या के शक्तिपीठ में निवास करने वाली मातंगी विद्या ऊध्र्वभाग में और भगवती कालिका कामाख्या स्वयं सर्वत्र मेरी नित्य रक्षा करें।। ब्रह्मरूपा महाविद्या सर्व विद्यामयी स्वयं दुर्गा सिर की रक्षा करें और भगवती श्री भवगेहिनी मेरे ललाट की रक्षा करें।। त्रिपुरा दोनों भौंहों की, शर्वाणी नासिका की, देवी चंडिका आँखों की तथा नीलसरस्वती दोनों कानों की रक्षा करें।।
भगवती सौम्यमुखी मुख की, देवी पार्वती ग्रीवा की और जिव्हाललन भीषणा देवी मेरी जिव्हा की रक्षा करें।। वाग्देवी वदन की, भगवती महेश्वरी वक्ष: स्थल की, महाभुजा दोनों बाहु की तथा सुरेश्वरी हाथ की, अंगुलियों की रक्षा करें।। भीमास्या पृष्ठ भाग की, भगवती दिगम्बरी कटि प्रदेश की और महाविद्या महोदरी सर्वदा मेरे उदर की रक्षा करें।। महादेवी उग्रतारा जंघा और ऊरुओं की एवं सुरसुन्दरी गुदा, अण्डकोश, लिंग तथा नाभि की रक्षा करें।। भवानी त्रिदशेश्वरी सदा पैर की, अंगुलियों की रक्षा करें और देवी शवासना रक्त, मांस, अस्थि, मज्जा आदि की रक्षा करें।। भगवती कामाख्या शक्तिपीठ में निवास करने वाली, महाभय का निवारण करने वाली देवी महामाया भयंकर महाभय से रक्षा करें।
भस्माचल पर स्थित दिव्य सिंहासन विराजमान रहने वाली श्री कालिका देवी सदा सभी प्रकार के विघ्नों से रक्षा करें।। जो स्थान कवच में नहीं कहा गया है, अतएव रक्षा से रहित है उन सबकी रक्षा सर्वदा भगवती सर्वरक्षकारिणी करे।। मुनिश्रेष्ठ! मेरे द्वारा आप से महामाया सभी प्रकार की रक्षा करने वाला भगवती कामाख्या का जो यह उत्तम कवच है वह अत्यन्त गोपनीय एवं श्रेष्ठ है।। इस कवच से रहित होकर साधक निर्भय हो जाता है। मन्त्र सिद्घि का विरोध करने वाले भयंकर भय उसका कभी स्पर्श तक नहीं करते हैं।। महामते! जो व्यक्ति इस महान कवच को कंठ में अथवा बाहु में धारण करता है उसे निर्विघ्न मनोवांछित फल मिलता है।। वह अमोघ आज्ञावाला होकर सभी विद्याओं में प्रवीण हो जाता है तथा सभी जगह दिनोंदिन मंगल और सुख प्राप्त करता है। जो जितेन्द्रिय व्यक्ति इस अद्भुत कवच का पाठ करता है वह भगवती के दिव्य धाम को जाता है। यह सत्य है, इसमें संशय नहीं है।।