Sri Satya Sai Baba Suprabhatam in Hindi/Sanskrit/Devanagiri:
Satya Sai Baba Suprabhatam with Meaning in Hindi – सत्य साई बाबा सुप्रभातम:
||अर्थ सहित श्री सत्य साई बाबा सुप्रभातम ||
ईश्वरांबासुतः श्रीमन् पूर्वा संध्या प्रवर्तते।
उत्तिष्ठ सत्य साईश कर्तव्यं दैवमाह्निकम्॥१॥
भावार्थ :
हे ईश्वरांबा के पुत्र, तेजोमय (तेजयुक्त) ऐश्वर्यपूर्ण महाराज आप जागिए प्रभात होने वाला है उठिए तथा अपने दैवी कार्यों में प्रव्रृत होइए।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ पर्तीश उत्तिष्ठ जगदीपते
उत्तिष्ठ करुणापूर्णा लोक मङलसिद्धये॥२॥
भावार्थ :
हे पुट्टपर्तीश्वर! जगत के स्वामी आप जागिए। हे करुणा निधान! (दया सागर) आप जागिए एवं संसार का कल्याण कीजिए|
चित्रवतीतट विशाल सुशान्त सौधे
तिष्ठन्ति सेवक जनास्तव दर्शनार्थम् |
आदित्यकान्तिरनुभाति समस्त लोकान्
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम् ॥३॥
भावार्थ :
चित्रवती नदी के तट पर (किनारे) स्थित शांति से परिपूर्ण प्रशान्ति निलयम में आपके भक्त, सेवक आपके मंगलमय दर्शन के लिए उत्सुक बैठे हैं। सूर्य का प्रकाश धीरे धीरे समस्त सृष्टि में फैलता जा रहा है, जिससे समस्त सृष्टि प्रकाशित हो रही है। हे सत्य साई भगवान! हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि इस सुप्रभात की बेला में आप जागिए तथा हमें आशीर्वाद प्रदान कीजिए। आपका यह प्रभात शुभ हो।
त्वन्नामकीर्तनरतास्तव दिव्य नाम
गायन्ति भक्तिरसपानप्रहृष्टचित्ताः ।
दातुम क्रृपासहितदर्शनमाशु तेभ्यः
श्री सत्य सई भगवन् तव सुप्रभातम ॥४॥
भावार्थ :
आपके सभी भक्त, जिन्होंने भक्ति रसपान किया है आपका गुण्गान कर रहे हैं तथा नाम-संकीर्तन में लीन हैं। वे सभी आपके दर्शन की कामना लेकर आपके द्वार पर आये हैं। अपनी कृपा की वर्षा उन पर कीजिए। जागिए और एक नए प्रकाशवान दिन का आशीर्वाद दीजिए। अपको यह प्रभात शुभ हो।
आदाय दिव्य कुसुमनि मनोहराणि
श्रीपादपूजन विधिं भवदन्ध्रि मूले ।
कर्तुम महोत्सुकतया प्रविशन्ति भक्ताः
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम ॥५॥
भावार्थ :
आपके भक्त आपके चरण कमलों के विधिपूर्वक पूजन के लिए मनोहारी दिव्य पुष्प लिए अत्यन्त उल्लास व उत्साह सहित (भवन) में प्रवेश चहते हैं। उन्हें पाद पूजन का सुअवसर प्रदान कीजिए। हे भगवान श्री सत्य साई बाबा! आपको यह प्रभात शुभ हो।
देशान्त्रागत बुधास्तव दिव्यमूर्तिम्
संदर्श्नाभिरति संयुत चित्तवृत्त्या ।
वेदोक्तमन्त्रपठनेन लसन्त्यजत्रम्
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम ॥ ६ ॥
भावार्थ :
अनेक देशों से पधारे विद्वान आपके दिव्य रूप के दर्शनार्थ आत्मविभोर हो अपने चित्त को आपकी ओर लगाए हुए वेदमंत्रों का पाठ करते हुए शोभायमान हैं। हे भगवान! आपको यह प्रभात शुभ हो।
श्रुत्वा त्वाद्भुत चरित्रमखण्डकीर्तिम्
व्याप्ता दिगन्तर विशाल धरातलेऽस्मिन ।
जिज्ञासु लोक उपतिष्ठति चास्रमेऽस्मिन्
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम ॥ ७ ॥
भावार्थ :
विशालधरा के कोने-कोने में आपके चरित्र की अखण्ड कीर्ती पहुँच चुकी है, जिसको सुनकर सत्य की खोज में लगे जिज्ञासु जन इस आश्रम में पधारे हैं और आपके दर्शन की प्रतीक्षा में बैठे हैं। हे भगवान सत्य साई बाबा! आपको यह प्रभात शुभ हो।
सीता सतीसम विशुद्ध हृदम्बुजाता
बह्वङ्गना करगृहीत सुपुष्पहाराः ।
स्तुवन्ति दिव्यनुतिभिः फणिभूषणं त्वाम्
श्री सत्य साई भगवन् तव सुप्रभातम ॥ ८ ॥
भावार्थ :
सती सीता समान शुद्ध हृदय वाली महिलाएँ आपकी प्रशंसा के गीत गा रही हैं। आप नागभूषण महादेव की दिव्य स्तुति वे महिलाएँ हाथों में मनोहारी पुष्प मालाएँ लिए गा रही हैं। भगवान महदेव जिन्होंने गले और बाहों पर सर्पों को धारण किया है ऐसे हे भगवान सत्य साई बाबा! आपको यह प्रभात शुभ हो।
सुप्रभातमिदं पुण्यं ये पठन्ति दिने दिने
ते विशन्ति परं धाम ज्ञान विज्ञान शोभिताः ॥ ९ ॥
भावार्थ :
जो भी व्यक्ति इस सुप्रभात को नित्य गायेंगे उन्हें परमधाम की प्राप्ति होगी तथा वे सर्वोच्च ज्ञान एवं सुबुद्धि प्राप्त करेंगे ।
मंगलं गुरुदेवाय मंगलं ज्ञानदायिने ।
मंगलं पर्तिवासाय मंगलं सत्यसाईने ॥ १० ॥
भवार्थ :
हे दिव्य गुरुदेव आप हम सभी के लिए मंगलकारी हो। आप हमको सुज्ञान प्रदान कीजिए। हे पुट्टपर्ती (प्रशान्ति निलयम) वासी भगवान श्री सत्य साई बाबा! आप हम सभी का मंगल करें। आप हम सभी का कल्याण करें।